जगन्नाथजी की रथयात्रा की रोचक कहानी (Story of lord Jagannath Rathyatra)
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एक समय की बात है, जब पुरानी पुरानी कथाओं में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का जबरदस्त महत्व था। यह महोत्सव पुराने समय से ही चला आ रहा है और हर साल उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।

कहानी के अनुसार, भगवान जगन्नाथ का रथयात्रा महोत्सव पुरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह महोत्सव भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विशाल रथ पर उन्हें जनता के सामने प्रस्थान कराने के लिए प्रसिद्ध है। इस रथयात्रा को महोत्सव के रूप में नहीं, भक्तों और समाज के लोगों के लिए एक अद्वितीय सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

यह महोत्सव भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ पर उन्हें उनके मंदिर से लेकर उनके भक्तों के बीच अत्यंत धूमधाम से जगह जगह यात्रा की जाती है।




भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के महोत्सव में विशेष रूप से पुरानी कथाओं में संज्ञान जाने वाली बहुत ही प्रसिद्ध कथाएं हैं। एक पुरानी कथा के अनुसार, एक बार जगन्नाथ जी को वनवास में जाना पड़ा था और उनके भक्तों ने उनकी यात्रा के लिए एक विशाल रथ बनाया और उन्हें उसी रथ पर बिठाकर अपने गाँव से मंदिर लेकर चल दिया। इस घटना के बाद से हर साल इस महोत्सव को मनाने का आयोजन होता है।

इस महोत्सव में भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ को धक्के देने का सौभाग्य प्राप्त करने के लिए भक्तों की बड़ी संख्या पहुंचती है। उन्हें यह मौका मिलता है कि वे भगवान की आराधना कर सकें और उनके सामने अपनी भक्ति और समर्पण का प्रदर्शन करें।

रथयात्रा का महोत्सव भगवान की महानता, भक्ति और सभी मनुष्यों के बीच सामंजस्य और प्रेम का प्रतीक है। यह महोत्सव विभिन्न समाज के लोगों को एक साथ आने का एक मौका देता है और उन्हें एक समान प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

इसी तरह भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा महोत्सव के रूप में एक अद्वितीय उत्सव के रूप में माना जाता है, जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व होता है। इस महोत्सव के दौरान लोग भगवान की भक्ति के साथ-साथ एक-दूसरे के साथ प्यार और समर्थन का भाव भी व्यक्त करते हैं।

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